** बादळी सुहावणी **
दिवाळी ने दीप जलास्यां
बाती करसी रात्यां राती ।
इब आवण वाळी काती ने
रात्यां करस्यां आपां राती ।।
?मधुप बैरागी
बादळी सुहावणी
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बादळी सुहावणी तूं
विचरे चारों ओर है
एक देश सूं देश दूसरे
झूम-झूम न घूमे है ।।
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इक संदेशडलो पहुंचा दे
म्हारे प्रितमड़े ने आज
याद घणी आवे है थांरी
हिवड़ो तड़पत जीव जाणे ।।
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बादळी पिऊ सूं कह दे
हिवड़े में रहसूं मैं थांके
विरह काळजो छीजे है
पण फिर भी हिवड़ो भीजे है ।
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इण विरह बादळी रे बरस्यां
बीज प्रेम रा निपजे है ।।
आवण वाळी दिवाळी ने
फसल प्रेम री काटस्यां आपां
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इब तो सिंचण रो है टेम
पेम बेली ने हिरदे सूं ।।
संदेशडलो पहुंचा दे तूं
बादळी प्रीतम ने आज ।।
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?मधुप बैरागी