बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
गज़ल
1222/1222/1222/1222
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
है इसमें शक नहीं यारो, के मेहनत रंग लाती है।
यूॅं ही नज़रें मिली थीं बस, उसे बदनाम कर डाला,
अगर दिल से मिला हो दिल, तो उल्फत रंग लाती है।
अगर चे साथ अच्छा हो, तो होगा आचरण अच्छा,
मिले गर साधु संतों की, तो संगत रंग लाती है।
हजारों लोग मरते हैं, यूॅं ही गुमनाम दुनियां में,
मगर सैनिक की सीमा पर, शहादत रंग लाती है।
हुए हैं हीर रांझा लैला मजनूं के अमर किस्से,
अगर सच्चे हों प्रेमी तो, ये कुर्बत रंग लाती है।
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी