बात अलगाव की करते हैं, और राष्ट्र भक्ति की बात करते हैं
बात अलगाव की, राष्ट्र भक्ति की बात?
आजाद देश में, आजादी की बात?
नित्य बिष वमन, और जात पात?
वे सिर पैर के मुद्दे, यही है एजेंटों की औकात
धर्म जाति नस्ल पर द्वेष,इनका यही उद्देश्य
दुकान इनकी चलती रहे, भाड़ में जाए देश
अभिव्यक्ति के नाम पर, एजेंडे न चलाइए
अगड़े पिछड़े धर्म-कर्म पर और न लड़ाइए
भाड़ खाकर समाज को, और न भड़काइए
खाते हो इसी देश का,देश की बजाइए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी