बाण मां सूं अरदास
किणनै कहूं कुण सांबळै
किणनै सुणावूं पीर मावड़ी।
अंतस घणौह अळूझियौ,
नैणां झरतौ नीर मावड़ी।।
निजर न आवै मारगियौ,
धारूं किकर धीर मावड़ी।
ममता री थ्हूं मूरती
राखै समदां सीर मावड़ी।।
आधै हेलै हाजर वेजै,
खांचै म्हांरी भीर मावड़ी।
हंस सवारी कर जगदम्बा,
वैगी वेजै वहीर मावड़ी।।
चाढू चोखौ चूरमियौ,
दूधां वाळी खीर मावड़ी।
पल पल याद करै अम्बिकां,
जीतु हुयौ अधीर मावड़ी।।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️