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2 Aug 2024 · 1 min read

बाण मां री महिमां

चितौड़ तुरकै घेरियौ,
कियौ घणौ अनियांव मावड़ी।
निरबळ निरधन लूटतां
गेहरा दीधा घाव मावड़ी।।
हम्मीर हिमत राखियां,
आप दियौ दरसाव मावड़ी।
पल में मारग दाखियौ,
छत्तर राखी छांव मावड़ी।।
जबर रण में जूझियां,
अंतस भरियौ उच्छाव मावड़ी।
दुसमी मरमट घालियां
लाज रखी अणमाव मावड़ी।।
संत सती अर सूरमा,
नमियां सब उमराव मावड़ी।
जीतू गहलोत महिमां गावै,
मांडै मन रा भाव मावडी।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️

Language: Rajasthani
86 Views

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