बाढ़
बाढ़
सुना नाम जब बाढ़ का
शुरू हुई हलचल चारों ओर
बादल को जब आता ग़ुस्सा
बूंदो से लिपटकर धरती को नहलाता
सैलाब, सुनामी, बाढ़ इत्यादि!रूप में
भयंकर अपना करतब दिखलाता
आती हैं जब बाढ़
खो देती है अपना संयम,बहा ले जाती
न जाने कितने ही इमारतों की दीवार
जिन आगँन में,कितने लोग पले बढ़े
उसको तहस कर यादों में धूमिल कर जाती
घर की शान शोकत को
क्षण भर में बहा ले जाती हैं,
बाढ़ के साथ बह जाती है,
न जाने कितनो की खुशियों का संसार
ढ़ह जाते हैं न सिर्फ,
घर, खेत, खलिहान,विद्यालय, सामान, बेरंग हो जाता ख़ुशियों का जहांन
कलाकार की कलाकृति भी डूब जाती
लहरों की क्रोधाग्नि से,ढंह जाते हैं,
जीवन व्यतीत करते,अनंत परिवार!
क़िसानो का जीवन हुआ तहस-नाहस
जलमग्न हो गया वह भी खेत
जिसमें बोया जा रहा था अनाज़
जलमग्न हो जाती हैं,
लोगों की संवेदनाएं, आशाएं,भावनाएँ
विविधिताएं, क्षमताएं और विचार
बाढ़, ने बचपन छिन लिया
बहा ले गया बच्चों का दर्पण
चारों तरफ था,सिर्फ जलभराव!!
दिख रहा था डूबती हुई लोगों की नैया
चट्टानों ने भी जल भरा,लहरों की तीव्र गति में जीवन लीला समाप्त! दिखी
सुनानी हो, सैलाब हो या बाढ़
फिर ना कोई प्राकृतिक आपदा
हे मानव प्राकृति से न कर कोई छेड़ इससे सुंदर मेल बढ़ा।।
डॉ. वैशाली अँकुर वर्मा✍🏻😇