ठाकरे को ठोकर
सरकार पार्टी से नहीं और न ही प्रॉपर्टी से बनती है।
सरकार अपने हर एक विधायक और सांसद के सत्कार से बनती है।
एकनाथ शिंदे बागी नहीं तुम्हारी औकात को दिखाया है।
विभीषण को तो खुद रावण ने लात मारकर निकाला था।
शिवसेना को समझा कभी नाम महाकाल का और काम भौकाल का।
खुद जो कैलाश पर रहता है सबको अन्न धन से संपन्न करता है।
जब मनुष्य का अहंकार बढ़ जाता है तब यही कुदरत कोई करिश्मा करके उसके अहंकार को तोड़ती है।
उद्धव आंसू क्यूं बहाते है, क्या थे और खुद को क्या दिखाते है।
भरोसा तुम इंसान पर करते हो बस यही बहुत बड़ी गलती करते हो।
तुम खुद को इतना मजबूत करते की तुम्हारे खिलाफ कोई बगावत करने से पहले सोचता।
वो बगावत किया नहीं तुमने आग भड़काई है।
जो थे सब हरे गीले तुमने उसमे आग लगाई है।
एकनाथ शिंदे इतिहास नाम को पुकारेगा।
विभीषण ने बाद इनका उदाहरण दिया जाएगा।
निर्दलीय भी इनके पक्ष हुए उद्धव अपने ही हाथों परास्त हुए।
जाओ अब एक सीख लेना उसे अपने यहां कभी भी पनाह मत देना जो तुम्हारे ही घर में रहकर उसे दीमक की तरह खाकर खोखला कर दें।
उद्धव आदित्य चारो खानो चित्त।