बाग़ तू भी लगा तितलियाँ आएगी …
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मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
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बाग़ तू भी लगा तितलियाँ आएगी
उजड़े गाँव नई बस्तियाँ आएँगी
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आँख ही मौन सूनी रहे सादगी
बरसे बादल यहाँ , बिजलियाँ आएँगी
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चार क़दमो को , चलना नहीं जानते
हिम्मतों फिर से बैसाखियाँ आएँगी
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आज उम्मीद की बंसियां डाल दे
तैरती कल सभी, मछलियाँ आएँगी
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तुम सफ़र में अकेले, जरा सम्हलो
सामने औऱ , दुश्वारियां आएँगी
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कुछ असरदार अंदाज़ में जो छुपा
छप के अख़बार में , सुर्खियाँ आएँगी
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)