बहुत माहिर हैं
बहुत माहिर हैं
वो
साध लेते हैं
समीकरण
वक्त के मुताबिक
साध लेते हैं
शब्दों को
हालात के मुताबिक
देते हैं वक्तव्य
सार्वभौमिक
कल्याणार्थ
चढ़ा रखे हैं
चेहरे पर चेहरे
बदल लेते हैं मुखौटा
हवा के
रुख के मुताबिक
उनके सभी चेहरे
करते हैं
दिगभ्रमित
करते हैं
वास्तविकता से दूर
बहुत हैं माहिर वो
समीकरण साधने में
-विनोद सिल्ला©