Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2022 · 2 min read

“आज बहुत दिनों बाद”

आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है,
नज़्म में सिर्फ़ तेरी ही बात लिखी है, वो हमारी पहली मुलाक़ात की दास्तां लिखी है,
ट्रैन का मेरा सफ़र और फिऱ तेरे शहर में गुज़री मेरी रात की कहानी लिखी है,
मेरी ट्रेनिंग के टाइम में वो छुट्टियों के बहाने बना कर तुझसे मुलाकात की वो हसीन शब-ए-वस्ल लिखी है,
कैसे तू मेरी नब्ज़ देख कर मेरा हाल बता देती थी, बुख़ार में मेरा सर दबा देती थी,
जब-जब तू मुझे सीने से लगाती थी मानों ज़िन्दगी वहीं थम सी जाती थी,
तेरे होंठ मेरे होंठो से टकराते थे, तब-तब मेरी साँसों को महका देते थे,
वो छत में हमारा बैठ कर ढेर सारी बातें करना, तेरा वो हँसते हुए वो मेरे बच्पन की नादानियों के किस्से सुन्ना,
तेरी वो हाँसी के अफसाने लिखे है,
आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है, नज़्म में सिर्फ़ बस तेरी ही बात लिखी है,
तेरी नाक का वो तिल जो मुझे बहुत प्यारा लगता था, दुनियां में तेरे सिवा मुझे कोई ख़ुबसूरत नहीं लगता था,
मेरी पहली पोस्टिंग में तेरा वो मुझे दवाइयों से भरा हुआ बॉक्स देना, हर दावा को कैसे और कब खाना है वो सब डिटेल्स में लिख देना,
तेरी आँखे उस समंदर से भी ज्यादा गहरी थी जिनमें कभी मैं डूब जाया करता था,
मेरा वो डयूटी के लिए तुझसे दूर जाना और तेरा वो दरवाज़े में खड़े रह के बस मुझे घूरना लिखा है, हिज्र की रातों में बहे तेरे आँसूओं की सिहाई से ये नज़्म लिखी है, नज़्म में बस तेरी ही बात लिखी है,
काश तू होती तो आज मैं यूँ बंजारा ना फ़िरता, कोई बेहाया मुझसे मेरी औकात ना पूछती,
तेरे लिए मेरा इश्क़ हमेशा खास था, कड़ी धूप में छाव था, काश मैं कभी तेरे मन को समझा होता, खुदगर्ज़ी में तेरे से दूर ना होता,
अपनी पलकों में मेरे ख़्वाब भी सजा लेती थी, मेरे बदले के आँसू भी बहा लेती थी, मेरी पल्लो मुझे अपनी पलकों में छुपा लेती थी,
तेरी पलकों पे सजे मेरे ख़्वाबों की दुनियां लिखी है, आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है और नज़्म में सिर्फ़ तेरी ही बात लिखी है।
“लोहित टम्टा”

Language: Hindi
523 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*आए जब से राम हैं, चारों ओर वसंत (कुंडलिया)*
*आए जब से राम हैं, चारों ओर वसंत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-549💐
💐प्रेम कौतुक-549💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2482.पूर्णिका
2482.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दर्द
दर्द
Dr. Seema Varma
इश्क का तोता
इश्क का तोता
Neelam Sharma
Love is a physical modern time.
Love is a physical modern time.
Neeraj Agarwal
बूँद बूँद याद
बूँद बूँद याद
Atul "Krishn"
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
Mahender Singh
मंत्र: श्वेते वृषे समारुढा, श्वेतांबरा शुचि:। महागौरी शुभ दध
मंत्र: श्वेते वृषे समारुढा, श्वेतांबरा शुचि:। महागौरी शुभ दध
Harminder Kaur
इस जग में हैं हम सब साथी
इस जग में हैं हम सब साथी
Suryakant Dwivedi
■ मोहल्ला ज़िंदा लोगों से बनता है। बस्ती तो मुर्दों की भी होत
■ मोहल्ला ज़िंदा लोगों से बनता है। बस्ती तो मुर्दों की भी होत
*Author प्रणय प्रभात*
पर्यावरण
पर्यावरण
नवीन जोशी 'नवल'
पानी
पानी
Er. Sanjay Shrivastava
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
।। आशा और आकांक्षा ।।
।। आशा और आकांक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
सफर में महबूब को कुछ बोल नहीं पाया
सफर में महबूब को कुछ बोल नहीं पाया
Anil chobisa
मेरे सजदे
मेरे सजदे
Dr fauzia Naseem shad
कितना ज्ञान भरा हो अंदर
कितना ज्ञान भरा हो अंदर
Vindhya Prakash Mishra
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
Manoj Mahato
राम आधार हैं
राम आधार हैं
Mamta Rani
"मंजर"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"ओ पथिक"*
Shashi kala vyas
होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक...!!!!
होंगे ही जीवन में संघर्ष विध्वंसक...!!!!
Jyoti Khari
सागर से दूरी धरो,
सागर से दूरी धरो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
*सवाल*
*सवाल*
Naushaba Suriya
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
Buddha Prakash
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
उत्कर्षता
उत्कर्षता
अंजनीत निज्जर
Loading...