बहुत दिनन के बाद
कृपा भइल बा रघुराई के बहुत दिनन के बाद
प्यास बुझल धरती माई के बहुत दिनन के बाद
लौटल प्रान मरल घासिन के बहुत दिनन के बाद हरिहर भइल गाछि बगियन के बहुत दिनन के बाद
गरमी के ठमकल मनमाना बहुत दिनन के बाद सबका मौसम लगल सुहाना बहुत दिनन के बाद
मेढक खूब टर्रातारे सन बहुत दिनन के बाद
पानी में उपरातारे सन बहुत दिनन के बाद
मन कइलसि हम नाचीं गाईं बहुत दिनन के बाद
आज एक कविता लिखि जाईं बहुत दिनन के बाद
सजी किसानन के मन हरसल बहुत दिनन के बाद आज कचरि के पानी बरसल बहुत दिनन के बाद