बहुत कुछ है सहा हमने
बहुत कुछ है सहा हमने
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यकीं कर लो कहा हमने,
बहुत कुछ हैं सहा हमने|
मिले हो तुम रजा कुदरत,
सबर का फल लिया हमने|
समझ आया नहीं मसला,
कहा दिल ने किया हमने|
हुई मुश्किल नहीं मुमकिन
जहर प्यारा पिया हमने|
जगी मन में उम्मीदें भी,
सहर हर दिन जिया हमने|
सुनो तुम बात मनसीरत,
गुजारे पल तन्हां हमने|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)