बहुआयामी दोहे
दल बदल कर हो जाते है.
पावन सहज जमात,
गलत संघ की विचारधारा
श्रेष्ठ थी मेरी खबात.
मजदूर की सही पहचान
मुंह मे तम्बाकू
सायंकाल हाथ शराब
हाथ में तेल ताकू.
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तोरण कला चढ़ी परवान,
संघ जोडने की कला,
सह संबंध विस्मृत आधार,
मन काले का काला.