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18 Mar 2023 · 1 min read

बहने दो जल धारा को स्वछंद!

बहने दो जल धारा को स्वछंद,
कब तक बांधते रहोगे तटबंध,
करते रहोगे मलीन और मंद,
कब तक करोगे इससे द्वंद्व!
कहते हैं जल में जीवन है,
या कहें जल ही जीवन है,
कैसे जिएंगे प्राणी बिन इसके,
सूख रहे हैं श्रोत इस जल के!
बिन वायु बिन पानी सब सून,
ना पगलाए बात ध्यान से सुन!
धरा सूख कर फटी जा रही है,
आसमां भी कहाँ बरखा बर्षा रही है,
तापमान बढ़ता जा रहा है,
यह कैसा मौसम आ रहा है!
बसंत में फूल खिलने से पहले कुम्हला गये,
बौर भी आ कर मुरझा गये,
बीज धरा पर सूख कर निर्जिव पडा है,
धरती पर नमी का न कोई अंश बचा है,
हे मतांध तू किस बात पर अडा है!
है वक्त अब भी,
जो बचा है,
उसे बचा ले,
इसे अपनों की धरोहर बना के,
बांध ना नदियों को,
यूंही,
अपने स्वजनों के लिए,
इन धाराओं को ,
उन्मुक्त होकर बहा दे!

Language: Hindi
87 Views
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