बसन्त बहार
बसन्त ऋतु के आगमन से देखो बहार है आया
पेड़ पौधों के नए पत्ते पवन के साथ सर सराया
ये ऋतू तो अपने कान्हा मोहन प्यारे को भाया
श्रृंगार कर के राधा रानी ने प्रियवर को लुभाया
कलियों ने जादू चलाया प्रकृति भी जगमगाया
पेड़ के पत्ते कब झड़े कब नये पत्तों से लहराया
तितली भौरें भी खूब रसास्वादन जो किया करे
मन्त्र मुग्ध होके कोयल भी कुहू-कुहू किया करे
बसंत बहार लेकर आया कोयल ने कुहू सुनाया
भौरों ने भी हाथ बढ़ा कर एक सुर में गुनगुनाय
संगीत साहित्य कला में सबसे बड़ा स्थान पाया
संगीत की एक विशेष धुन राग बसंत कहलाया
स्वरचित ।
©®प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)