बसन्त | गढ़वाली गीत | मोहित नेगी मुंतज़िर
मेरा गों की सार एगे बसन्त
ग्वीराल फूली, खिलगिन फ्यूंली
मैं छों यखुली, गेल्या न भूली
भौंरो द्या रैबार ऐगे बसन्त।
भौंरा भमाणा, गीत लगाणा
फूल सरमाणा,मुक्क लुकाणा
भौंरो की च बार,एगे बसन्त।
छोरों की टोली,सारयूं मा जोली
गीत लगोली,फूल बिरौली
फूलदेई त्योहार,एगे बसन्त।
झुमैलु गाला, चांचरी लाला
थानु मा जाला,देवूं मनाला,
पंचमी कु त्यौहार,एगे बसन्त।
धीयाणी औली, गीत लगोली
,बूबा रूठोली, ब्वे ते मनोली
द्यू जगोली, मन्दिर सजोली
भै बेणो कु प्यार, एगे बसन्त।
ने साल एगे,रंगत छेगे
हैरयाली लेगे,फूल खिलेगे
डालयूँ मा मौलयार, एगे बसन्त।