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4 Feb 2022 · 1 min read

बसंत पंचमी

, बसंत पंचमी

बसंती दुल्हन सज रही,
कर -कर पीत शिंगार।
पीत चुनरी, पीत साड़ी,
पीत गल माला हार।

साड़ी जड़ी टेसू, कुज्जा,
अमलतास, कचनार।
हाथ रचे गुल मेहंदी,
अधर मधुर गुलनार।

भाल बिंदी सैमल सोहे,
सरसों सुहावे कर्णफूल।
कनक बालियां पायल बने,
छम-छम उड़ावे धूल।

सहजन फूल चोली दमके,
गैंदा महकावे रूप।
बनके काजल घटाएं उतरे,
अलकों की लताएं अनूप।

बने परांदा कीकर फूल,
सूरजमुखी चूड़ामणि।
पीत मालती टीका सजे,
मोगरा चूड़ी खनके घनी।

चंपा-चमेली केश महकाए,
गलाब महकाए काया।
पवन बसंती चंवर ढुलावे,
मुखरित मुस्कान की छाया।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
389 Views
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