Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2021 · 1 min read

बरसात

बरसात में अब कहां वो बरसात होती है
दिन में ही अब दिनदहाड़े रात होती है ,
बरसात भी रिश्तो की तरह अब बदल गई है , बरसात किसी और ही रंग में अब ढल गई है |
बरसात भी सिर्फ अमीरों को खुशी दिलाती है, गरीब को वही बरसात खून के आंसू रुलाती है,
बरसात में है पानी और पानी की बरसात,
बादल से जाके पूछो ,तुम बूंद के जज़्बात |
बूंद से जाकर पूछो, एक कतरे की औकात ,
बरसात का पानी अब आंखों में कहां रहता है, हॉ ‘खुशी के आंसू’ बरसात बनकर बहता है |
काश जिंदगी में हो जाए फिर पहले जैसी बात, पूरे जहां में जमकर हो खुशी की बरसात,
काश बरसात की वह अधूरी कड़ी,
फिर मुकम्मल हो जाए,
बूंद मिट्टी, पानी, पेड़, और इंसान ,
समस्या सब हल हो जाए |

इंदु शर्मा

7 Likes · 5 Comments · 504 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
Smriti Singh
गम के बादल गये, आया मधुमास है।
गम के बादल गये, आया मधुमास है।
सत्य कुमार प्रेमी
"कलम की अभिलाषा"
Yogendra Chaturwedi
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
जो चाहो यदि वह मिले,
जो चाहो यदि वह मिले,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*
*"तुलसी मैया"*
Shashi kala vyas
■ बहुत हुई घिसी-पिटी दुआएं। कुछ नया भी बोलो ताकि प्रभु को भी
■ बहुत हुई घिसी-पिटी दुआएं। कुछ नया भी बोलो ताकि प्रभु को भी
*Author प्रणय प्रभात*
Gamo ko chhipaye baithe hai,
Gamo ko chhipaye baithe hai,
Sakshi Tripathi
एक सही आदमी ही अपनी
एक सही आदमी ही अपनी
Ranjeet kumar patre
"कागज"
Dr. Kishan tandon kranti
शायद कुछ अपने ही बेगाने हो गये हैं
शायद कुछ अपने ही बेगाने हो गये हैं
Ravi Ghayal
*भरोसा हो तो*
*भरोसा हो तो*
नेताम आर सी
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
DrLakshman Jha Parimal
12- अब घर आ जा लल्ला
12- अब घर आ जा लल्ला
Ajay Kumar Vimal
पहले प्यार में
पहले प्यार में
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
संसार में
संसार में
Brijpal Singh
अच्छा लगने लगा है उसे
अच्छा लगने लगा है उसे
Vijay Nayak
*सौभाग्य*
*सौभाग्य*
Harminder Kaur
भगवा है पहचान हमारी
भगवा है पहचान हमारी
Dr. Pratibha Mahi
तुम तो ख़ामोशियां
तुम तो ख़ामोशियां
Dr fauzia Naseem shad
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
विश्व पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल)
डॉ.सीमा अग्रवाल
भरत मिलाप
भरत मिलाप
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
तलाशता हूँ उस
तलाशता हूँ उस "प्रणय यात्रा" के निशाँ
Atul "Krishn"
*भूमिका*
*भूमिका*
Ravi Prakash
भोले नाथ है हमारे,
भोले नाथ है हमारे,
manjula chauhan
अपने
अपने
Shyam Sundar Subramanian
“पहाड़ी झरना”
“पहाड़ी झरना”
Awadhesh Kumar Singh
2549.पूर्णिका
2549.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
From dust to diamond.
From dust to diamond.
Manisha Manjari
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
Loading...