बरसात निंगोड़ी….
बरसात निंगोड़ी….
क्या करूँ मैं इस बरसात निंगोड़ी का,
अपनी तो ऐसी बैरन हुई, जी जान से बैर निभावे है !
जब बरसे है झूम झूम, …………..!
तृप्त होता सृष्टि का रोम रोम ….!
एक हम ही दुश्मन इसके…………!
जब पड़े बूँद गात पर, जिया में आग लगावे हैं !
तड़पे है तन बदन ऐसे ….!
बिन पानी मछली जैसे …!
सारे जग से प्रीत करे, कम्बखत हमसे अच्छा बैर निभावें है !!
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डी. के. निवातियाँ ____!!!