बरसात (दोहे)
जून माह की गर्म लू, करती जब बेचैन ।
मानसून के साथ ही,मिलता है कुछ चैन ।
बूँद बूँद बरसात हो,गिरती कभी फुहार।
झरझर पानी पड़ रहा ,ठंडी चले बयार।।
हवा संग ऑधी चले , बादल करते घोर ।
बिजली चमके तेज जब, चहुॅदिश होता शोर ।।
महा प्रलय सम गर्जना, वर्षा मूसल धार ।
बादल फटते जब कभी , होवे हानि अपार।।
एक नाम बरसात का,होते रूप अनेक ।
कुछ देते है लाभ फल, हुए नहीं सब नेक ।।
जल पूरित होती जमी,आती जब बरसात।
पानी भरते स्रोत सब,धरती प्यास बुझात।
जल जीवन में खास है,जल से चले शरीर ।
वर्षा ऋतु से प्राप्त हो, पीने सबको नीर।।
राजेश कौरव सुमित्र