बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
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बरसातें सबसे बुरीं ,चिप- चिप हुआ शरीर
बारिश जैसे ही रुकी , गर्मी फिर गंभीर
गर्मी फिर गंभीर , चौगुने मच्छर छाए
कीड़े-कीट-पतंग ,न जाने क्या-क्या आए
कहते रवि कविराय ,चैन के दिन कब रातें
बुरे फॅंसे हे राम , मुसीबत हैं बरसातें
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451