बनेड़ा रै इतिहास री इक झिळक………….
बनेड़ा, मन ळुभावण मंगरा चारों कांनी सूं घिर’यो इक कस्बाई नगर। इक कांनी ऐतिहासिक महल, तो दूजी कांनी हरियाळी री सौंदर्य सूं भरियोडो राम सरोवर, अर बीचाळै बस्योडी ह नगरी।
राजस्थान रै भीलवाड़ा जिला सूं 25 कि.मी. नैडे राज्य मार्ग नं. 12 पर बस्योडी नगरी बनेड़ा रो आपणो इक न्यारो इतिहास है। अठै बनयोडा गढ़ींनुमा दुर्ग आजतांही आपणा मूल-स्वरुप मांही बिराजमान है, अर आपणां जूनां दिनां रा गीत गावै है, इतिहास रा हैताळू नैं रीजावै, अर आपणै नैणे आवण रो नूतो देवै है। समन्दर तल सूं 1900 फूट ऊंचा मंगरा माथै आजतांही जागीरदारां द्वारा बनायोडा इण महळां रै चांरू कांनी दौहरो, तीहरो परकोटो है। रजवाडा रै दिनां मांही बनेडा राजस्थान रै मेवाड क्षेत्र री जागीरा सूं इक हो, जूनां दिनां सूं ही बनेडा नै मेवाड मांही मानता हा।
इक टैम री वात ह, सन 1681 रै नैडे तैडे औरंगजेब राणा राज सिंह प्रथम रा छोटा कुंवर भीम सिंह नै बनेडा री जागीर दी। बनेडा रा संस्थापक राणा भीम सिंह रो जीवण घणी’कर वीरता री घटनीवां सूं भरियोडो है। आप रो जन्म विक्रम संवत 1710 पौष कृष्णा एकादशी री रात्रि रा हुयो। आप रै जन्म रै थोडी देर धकै राजकुमार जयसिंह रो भी जन्म हुयो। जिण वख्त ऐ राजकुमारा रै जन्म री सूचना देवण सारुं दासीयां पहुंची, उण वख्त मेवाङ महाराणा राजसिंह रंगमहला मांही आराम फरमावता। जय सिंह रै जन्म री सूचना वाळी दासी पगा कांनी, अर भीम सिंह री सूचना देवण वाळी दासी सिराणै माथै ऊंबी हुय’गई। जणै मेवाङ महाराणा जाग्यां, वणा री निजर पैळी महाराणी पंवार री दासी कांनी गई, जणा वा अरज करी, महाराणी पंवार री कौख सूं राजकुमार जळमियां। उण रै पछै महाराणी च्वहाण री दासी निवेदन अरज करी, महाराणी च्वहाण री कौख सूं राजकुमार रो जळम इण सूं पैळा हुयो। जणै महाराणा फरमायो, जिण रै जन्म री सूचना म्है पैळा मिली वणी नै मोटो मानै’ळा अर जिण री सूचना पछै मिली उण नै छोटो।
महाराणा राजसिंह रा इण फैसला रा वणी वख्त तो कांई महत्व कौनी हुयो, जयसिंह अर भीमसिंह रा जन्म सूं पैळा दो राजकुमार सुल्तान सिंह अर सरदार सिंह जीवतां हा। अणा रै जीवतां थका जयसिंह अर भीमसिंह नै मेवाड रो उतराधिकारी बणावणो अणहोणी ही। राम जी री इच्छा थकां सुल्तान सिंह अर सरदार सिंह री मौत हुय’गी। जणा उतराधिकारी रा चयन माथै रोडो अटकै। महाराणा राज सिंह जळम रै वख्त जयसिंह नै मोटो कुंवर मानीजळियो, अर महाराणा आपणा वचन माथै खरा रया अर जयसिंह नै मेवाड उतराधिकारी वणाय दियो। पण महाराणा राजसिंह नै भैम हुयो कै म्है जिण छोटा नै मोटो कुंवर घोषित कर दियो, अर भीमसिंह नै छोटो, जो जयसिंह सूं हर काम माथै आगै है, जणा राजसिंह भीमसिंह जी नै आपणै कनै बुळा’यर कयो कै “म्हारी तलवार ले अर आपणा छोटा भाई नै मौत रै घाट उतार दै”। जणै भीमसिंह कह’यो
“पिताजी, ओ ऐडो काई काम करियो, जिण सारुं उण नै मौत रै घाट उतारु, उण नै एडी सजा किण सारु देवो हो”। जणा महाराणा फरमायो “ऐडो कांई काम तो कौनी करियो, पण म्हनै ओ भैम है की म्हारी मृत्यु रै लारै थै दो भाई लडाई करो’ला। तू जाणै है भीमसिंह उम्र मांही तू जयसिंह सूं मोटो है, अर आपणै सिसौदिया कुळ री परंपरा रैई है की मोटो कुंवर ही राजगद्दी माथै बिराजै है”। पिता री बात सुण’ता ही भीमसिंह जळ मंगवायो अर पिता रै सामै हाथ मांही जळ लेता थकां बचन लियो कै “आप रै सिरग सिधारया पछै, म्है उदयपुर मांही पाणी भी कौनी आरोगूं। आज म्है आप रै सांमी ओ प्रण लेऊ, कांई चिंता कौना राखो”।
महाराणा राजसिंह जी रै सिरग सिधारया पछै, भीमसिंह उदयपुर नै छोड आपणै ननिहाल बिदळा आ पधारिया। जणै भीमसिंह उदयपुर छोड्यो, वा भी बगैर कांई जागीरी लिया, तो जयसिंह रै मनडा मांही आ बात घणी खटकी। महाराणा जयसिंह भीमसिंह जी नै अरज करी कै “म्हारै सूं कीं तो गांव जागीरी मांही ले लो, आप आदेश करौ वतरा गांव री जागीरी आप रै नाम कर दूं’ला”। पण पिता रा बचन रुखा’ळण सारुं भीमसिंह मेवाङ सूं इक भी गांव जागीरी मांही कौनी लियो। महाराणा जयसिंह घणी अरज करी, पण भीमसिंह जी कौनी स्वीकार करी। छ: महिना मांही मेवाड रा सगळा उमराव अर सामंत भैळा हुय’र महाराणा जयसिंह जी नै अरज करी कै औरंगजेब सूं संधि कर’लो। जद मेवाङ री औरंगजेब सूं संधि हुय’गी उण वख्त भीमसिंह जी मांडल रैवास करता हा। मांडल उण वख्त मुगळा रै अधिनस्थ हो। मांडल सूं भीमसिंह जी अजमेर इक ओळयू भैज्यो अर अरज करी कै “म्है भीमसिंह राणा राजसिंह जी रो कुंवर आप’री सेवा बजावण सारुं अरज करुं हूं”। भीमसिंह जी नै ठाह हो कै बादशाह औरंगजेब अजमेर मांही मुकाम करै है। जद बादशाह नै ठाह पडी कै मेवाड महाराणा राजसिंह जी रो कंवर सेवा मांही आवणो चावै है, तो बादशाह जल्द सूचना भैजी कै”भीमसिंह जी, आप आप’रा परिवार नै बनेडा छोड’र , अजमेर पधारो”।जणा भीमसिंह जी आपणै परिवार नै बनेडा छोड’र अजमेर प्रस्थान कर’यो। भीमसिंह जी री सेवा सूं प्रसन्नचित हुय’र बादशाह बनेडा परगणा, उज्जैन रै समीप बदनावर परगणा अर 5000 रा मंसब प्रदान कर’यो। इक बार जयपुर रा राणा सूं नाराज बादशाह वणा रो मालपुरा परगणा भी भीमसिंह जी ने प्रदान कर दियौ, घणी वख्त तांही मालपुरा परगणा भीमसिंह जी रै अधिनस्थ ही रह’यो, पण बादशाह नै खुश कर जयपुर रा राणा पाछौ मालपुरा जयपुर मांही ले लियो। पण भीमसिंह आपणा पिता रा वचन रूखाळण सारु मेवाङ सूं इक बीघा भूमी भी कौनी ली, वणा रा हुकम नै मानता थकां पितृ भक्ति नै सिरोधारी करियो। मोटां कुंवर होता थका भी मेवाड री राजगद्दी नै बिसार दियो। महान मेवाङ राज्य रा लोभ मांही आय’र ऐडो कांई काम कौनी कर’यो, जकां सू पिता रो बचन झूठो साबित हुवै। मेवाङ राज्य नै पिता रै बचन सारु तृण री भांती त्याग दियो, अठै तांही भीमसिंह अठां सूं कांई जागीर भी कौनी ली। भीमसिंह रो ओ त्याग मेवाङ राजवंश रै सारू वणा री मातृभूमी री भक्ति रो सैनाण है, जका नै इतिहास रा पन्ना माथै सोना रा आखर सूं मांडण जोग है। 18वीं सदी रै चाळता थकां शाहपुरा रा राजा उम्मेद सिंह राणा भीम सिंह रा वंशजा नै बनेडा सूं बारै काढ दियो, जणा उदयपुर रा राणा राज सिंह द्वितीय रा सहयोग सूं बनेङा रा जागीरदारा इण नै वापस हासिल करियो, जद सूं ही बनेडा रा जागीरदार उदयपुर रा सामांता मांही गिणीजै। बनेडा रा जागीरदारा नै घणाकर मोटा अधिकार मिल्योडा ह, जकी उदयपुर रा अन्य सामंता नै भी मिल्योडा कौनी है। इण मांही सगळा सूं मोटो बनेडा रा उतराधिकारीयो नै राजतिलक रा वख्त उदयपुर सूं सम्मान रै सागै इक तलवार भेजणो, अर इण रै पछै अधिस्थापन सारुं बनेडा रा राणा उदयपुर जावतां, जणा री आवभगत सारुं मेवाड महाराणा नियत स्थान माथै पधारता, अर बिदाई देवण रा वख्त वणा रै महल थकां पधारता।
बनेडा रा गढ रो नवीनीकरण राणा सरदार सिंह ज्येष्ठ बुदी छठ विक्रम संवत 1792 मांही सुरु करवायो। राणा राय सिंह जी गांव री सुरक्षा सांरु आपणा पुरखा पुरुष राणा राज सिंह रै नांव सूं राजपुर (बनेडा) बसायो, जकी आजतांही स्थित है। बनेडा रा पग धोवतो रामसरोवर रै किनारै राणा अक्षय सिंह नजर बाग रो निर्माण विक्रम संवत 1954 मांही कर’वायो। गांव मांही देवळ अर मंदिर रा निर्माण भी घणा हुया, जिण मांही जैन मंदिर अर चारभुजा मंदिर रो नांव मोटो मानै है। जैन मंदिर री प्रतिष्ठा राजा हमीर सिंह द्वितीय रै शासन मांही विक्रम संवत1840 मांही हुई, जिण मांही रिषभदेव री मूर्त बिराजमान है।। बनेडा रो इतिहास घणो जूनो रयो है। बनेडा सगळा सूं पैला राणा सांगा रा ससुर करमचंद्र पंवार कनै हो। इण रै पछै दिल्ली रै बादशाह रै अधिनस्थ हुय’गयो। इण रै पछै राणा भीमसिंह नै मिल्योडा बनेडा नै करीब 342 बरस रा नैडे तैडे हुय’गया। बनेडा रो इतिहास तो इण सूं भी उजळो रयो है, जिण मांही मोटा तौर सूं राणा भीमसिंह रो इतिहास तो घणो ही उजळो रयो है। इक बिना गांव रा राजा नै औरंगजेब वणा री वीरता सूं रीझ’र, वणा नै पैळी दिदार मांही पंच जागीरी भेंट मांही दी, जकी जयपुर, जोधपुर जैडा मोटां राजावां नै भी कौना मिल्या। इण सूं लागै है की, बादशाह वणा री वीरता पर कितौ कायल हो जका री टक्कर कोई राजा कौनी कर सकै। इणी भांती बनेडा रा सगळा राजावां रा इतिहास घणा ही उजळा रया है। बनेडा मांही शिक्षा अर बिजळी सगळा सूं पैळा राजा अमर सिंह जी लेय’र आया। 11 मई 1967 रा राजाधिराज अमरसिंह जी सुरग सिधारग्या, अर राजाधिराज हेमेन्द्र सिंह जी 24 मई1967 रा बनेडा री राजगद्दी माथै बिराजै। 31 मई 2021 रा दिन हेमेन्द्र सिंह जी सुरग सिधारग्या, अर राजाधिराज गोपालचरण जी राजगद्दी माथै आसिन हुया।
आजतांही बनेडा राजपरिवार रा लोग आपणा पुरखा रा दियोडा बचना नै रुखाळै, अर मेवाड री किर्ती री उजास नै आखी दूनिया मांही बिखैरे। ऐडी त्याग, समर्पण, सेवा भाव अर बचन रुखाळण री परंपरा आळी धरती माथै जन्म लेयर, हूं अपणा आप नै घणो मोटां भाग आळो मानूं हूं। जठै मिनख जनम लैवे, वा धरती वणा रै वास्ते पूजण जोग हुय जावै ह। पण जिण धरती रो इतिहास इतरौ ऊजळौ हुवै, उण माथै जनम लेवणो खुद ही आपणी छाती नै गरब सूं फूला देवे। जिण भांती राजाधिराज हेमेंन्द्र सिंह जी रै वास्ते बनेडा वणा री पहचाण अर अभिमान ह, उणी भांती बनेडा म्हारै वास्ते भी म्हारो गौरव ह। जिण गांव मांही बाळपणो रा पल ऊजळा हुया, मां बाबा सा रो हैत मिल्यो, उण गांव मांही
मायड़ भौम थारो हेताळू
लक्की सिंह चौहान
ठि.- बनेडा (राजपुर)