बनि के आपन निरास कर देला
बनि के आपन निरास कर देला
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बनि के आपन निरास कर देला
हद से ज्यादा उदास कर देला
हम त मिल-जुल के बस रहीं लेकिन
ऊ त लफड़ा पचास कर देला
जहिया बेंचेला हार सोना के
खाली सगरी गिलास कर देला
तास दारू मजा त दे ताटे
बाकी घर के विनास कर देला
दूर हरदम ग़ुरूर से रऽहऽ
ई त मालिक से दास कर देला
काँहें “आकाश” आज दुनिया में
घात आपन ही खास कर देला
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 07/07/2020