बद
बद-वाक् और बद-भाव
बदतर मनुष्य का आविर्भाव,
बदतर खान-पान और पोशाक
बदतर बना जाति का चिह्न-स्वभाव;
बदतर भाषा और संस्कृति
बदतर घी से जलती दीए की बाती,
बदतर पानी से वे प्यास बुझाते
बदतर कार्य करते दिन-रात्री;
बद-नजर दौड़ाते हर तरफ
बदतर सबको वे समझते,
बदमाशों के संग रहकर आज
बदतर कमाई चुटकी में करते;
बदतर न्याय और बदतर प्रेम
बदतर भक्ति और देश सेवा,
बदतर राजा और बदतर प्रजा
बदतर समाज और व्यवस्था;
बदतर करनेवाले निंदक भी
बदकारों के पीछे दौड़ लगाते,
बदनाम-सा सम्मान पाने के लिए
बदकारों का अत्याचार हँसकर सहते;
बद!तुम महान हो आज
बद!कर्म करते रहो रावण सदृश,
बदकारों के लिए फिर जन्मेंगे राम
जो दिखाएंगे अब सटीक दिशा ।