बदल रही है प्रकृति
बदल रही है प्रकृति
अपना रूप पुराना ।
नव यौवन सा लौट
रहा है आज सुहाना ।।
साफ हुआ आकाश
वायु भी शुद्ध हो रही ।
छेड़ रहे है खग कुल
प्रमुदित नया तराना ।।
मृदुल नीर सरिताओं
का मन मोह रहा है ।
खेतों में आया है हर
इक सजकर दाना ।।
उद्भिज कोमल हरियाली
ले झूम रहे हैं ।
वसुंधरा ने पहन लिया
अति सुंदर बाना ।।
रजनी के आंचल में
दमके नए सितारे ।
दामन में भर चाह
रही सौंदर्य बढ़ाना ।।
सूर्य ज्वाल के पुञ्ज
गगन से बरसाते हैं ।
शीतलता दे चंद्र
चाहते ताप मिटाना ।।