बदलाव था नहीं
रोते रहे नसीब को, बदलाव था नहीं
है जब मरीचिका* ही तो, ठहराव था नहीं
होता जो इश्क़ आप को, रोते हमारे संग
था वो फ़रेब ही तो फ़क़त, चाव था नहीं
फूटा नसीब था सो, नहीं कुछ गिला किया
टूटा गुरूर** यार तो फिर, ताव था नहीं
दिलबर नहीं मिला है, हाँ रब को पा लिया
क्यों इश्क़ से उसे मेरे, कुछ चाव था नहीं
कैसे वफ़ा की राह में, ठहरे यहाँ कोई
चलना ही था नसीब में, ठहराव था नहीं
–––––––––––––––
*मरीचिका—दृष्टिभ्रम
**गुरूर—घमंड