बदलना भी जरूरी है
बदलते जमाने के साथ बदलना भी जरूरी है।
जमाने के साथ साथ चलना भी जरूरी है।
दिल में हसरतें पालने से कुछ नहीं होता
ग़र है तमन्ना तो मचलना भी जरूरी है।
समाज के जो दावेदार, ज़हर रोज़ उगलते हैं
ऐसे नागों का फन,कुचलना भी जरूरी है।
गहरे अंधेरों से क्यों डर रहा है तू ऐ दिल
इस अंधेरी रात का ,ढलना भी जरूरी है।
सांसों के चलने को ही जिंदगी नहीं कहते
जिंदा हैं तो दिल धड़कना भी जरूरी है।
सुरिंदर कौर