बड़े हौसले से है परवाज करता,
बड़े हौसले से है परवाज करता,
न झुकता न रुकता न डरता जहां में।
नहीं काम छोटे परिन्दे का है ये,
कोई बाज़ उड़ता खुले आसमां में।
अगर नाम करना जमाने के लव पे,
वहीं जाकर रुकना जहाँ है ठिकाना।
बड़ी मंजिलों का मुसाफिर अगर तू,
मुसलसल चला चल कहीं रुक न जाना।
Happy ias day
सतीश सृजन