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2 Feb 2023 · 1 min read

बड़ा हथियार

घाव कहीं से न दिखे,
पर अति गहरा वार।
जगत में प्रेम बड़ा हथियार।
प्रेमशस्त्र से घायल होकर,
राम चखे फल खाएं।
श्रीकृष्ण भी माखन के बदले,
ठुमक कर नाच दिखाए।
नाई बने,चावल को खाया,
अर्जुन का रथ हांका।
इसी शस्त्र से राधा कुब्जा,
हरि पर डाला डांका।
प्रेम तीर तन ऐसा बींधा,
विप्र के चरण पखार।
जगत में प्रेम बड़ा हथियार।
पैरों से पंगुल हो जाता,
मुख से बन जाये गूंगा।
प्रेम बान जब तन में जाये,
व्यर्थ स्वर्ण मणि मूंगा।
राजा पद भी मन न भाए,
जब भरे प्रेम भंडार।
जगत में प्रेम बड़ा हथियार।
सतीश सृजन, लखनऊ

Language: Hindi
295 Views
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