बड़ा अफसोस
बड़ा अफसोस है तुम्हारे लिए,
के, हमारे हिस्से से तो लाखों हुए ,
मगर तुम्हारे पास एक न आया…
किसी ने हमको लूटा , किसी ने अपने पास रखा,
लाखों दीवाने थे हमारे, मगर हम एक के दीवाने थे…
बड़ा अफसोस है कि हम तुम्हारे ना हो सके,
मंजिल तो हम किसी और की थे, मगर चाहत उससे ना कर सके,
जो चाहत थी हमारी, वह हमें मिल न सके…
अब तो लगता है उसने मेरा कत्ल कर दिया…
जिंदा लाश हूं मैं, आत्मा तेरे पास है,
अफसोस है कि मुझे मैंने तुझे कातिल बना दिया,
– उमेंद्र कुमार