बच्चों को किताबें दीजिए
वक़्त तकाज़ा यही कि
एक और इंकलाब कीजिए!
दूसरे का मुंह क्यों देखना
खुद से ही आगाज़ कीजिए!!
अगर आप नहीं चाहते कि
ये भिखारी या मवाली बनें
तो घंटा या झंडा नहीं!!
इन बच्चों को किताब दीजिए!
Shekhar Chandra Mitra
वक़्त तकाज़ा यही कि
एक और इंकलाब कीजिए!
दूसरे का मुंह क्यों देखना
खुद से ही आगाज़ कीजिए!!
अगर आप नहीं चाहते कि
ये भिखारी या मवाली बनें
तो घंटा या झंडा नहीं!!
इन बच्चों को किताब दीजिए!
Shekhar Chandra Mitra