बच्चों की मनोप्रवृति
आज कल बच्चों की मानसिकता फिल्मों पर ज्यादा केन्द्रित होती है। फिल्मों के बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं। अभिनेता व अभिनेत्रियों को अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा महत्व देते हैं।
जितना महत्व अपने माता-पिता व गुरु जनों को नही देते हैं।
वह अपने मन को कंट्रोल नही कर पाते हैं।उनको कभी सिगरेट, कभी गुटका जैसी गंदी वस्तुओं की आदत पड़ जाती है। जबकि
इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।यह सच्चाई जानने के बाद भी वह इस आदत को छोड़ नहीं सकता है।
उसकी मानसिकता पर फिल्मों का भूत सवार रहता है। सरकार
तम्बाकू से लोगों को छोड़ ने आवाहन करती है। फिर भी लोग छोड़ते नही है। दूसरी तरफ, फिल्मों में सिगरेट पीना या तम्बाकू
से बनी वस्तुओं का सेवन करना प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
क्योंकि हम बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
हम कोरी बातें बहुत करते हैं।पर उनका पालन नही करते हैं।
हम अपने घर में भी बच्चों से कोई भी बीड़ी सिगरेट न बुलाये।
अगर आपने जो भी चीज बच्चों के सामने पी या खाई है , निश्चित ही वह बड़ा होकर वहीं वस्तु का सेवन करना शुरू करेगा। उसे फिर आप रोक नही पायेंगे। इसलिए आप से निवेदन है कि आप बच्चों के सामने किसी भी प्रकार का नशे का सेवन न करें। ज्यादा तर बच्चे अपने माता-पिता से ही सीखते हैं। क्योंकि बच्चों का मन बड़ा नाज़ुक होता है । बच्चे उसे जल्दी गृहण कर लेते हैं।
मन हर इंसान का बहुत शक्तिशाली होता है , उस पर विजय पाना
संसार को जीतने के समान है।