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9 Jun 2023 · 1 min read

बच्चे पैदा कीजिए, घर-घर दस या बीस ( हास्य कुंडलिया)

बच्चे पैदा कीजिए, घर-घर दस या बीस ( हास्य कुंडलिया)
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बच्चे पैदा कीजिए, घर-घर दस या बीस
ऊपरवाला दे रहा, लेता है कब फीस
लेता है कब फीस, मुफ्त में बच्चे पलते
राशन के कब दाम, चुकाने पड़ते खलते
कहते रवि कविराय, अक्ल के समझो कच्चे
भरते रहते टैक्स, एक-दो जिनके बच्चे
————————————————-
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 9997 61 545 1

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