बचा लो मेरी जान पिता जी
बचा लो मेरी जान पिताजी
लो मेरे गुण पहचान पिता जी।
बचा लो मेरी जान पिता जी।।
मैं भी पढने जाना चाहती हूँ,
अपना लोहा मनवाना चाहती हूँ,
करूंगी ऊंचा नाम पिता जी।।
बचा……
इस आंगन को महकाना चाहती हूँ,
सपनों को पंख लगाना चाहती हूँ,
भरूंगी ऊंची उङान पिता जी।।
बचा……
मस्तक ऊंचा करके चलना पापा जी,
बिटिया का बाप बनना पापा जी,
करूंगी काम महान पिता जी।।
बचा……
दादी तो पूर्वाग्रह से ग्रस्त है,
दादा भी उसकी बात में मस्त है,
मम्मी जी है नादान पिता जी।।
बचा……
सिल्ला’ के घर भी लाक्षा रानी है,
कुशाग्र बुद्धि वो बङी सयानी है,
बात लो मेरी मान पिता जी।।
बचा……
-विनोद सिल्ला