बचपन……………
बचपन
वो बचपन याद आता है
तितलियो के पीछे भागना
पकड़कर डब्बे में बंद करना
और उन संग खेलना फिर
खुले आसमा में छोड़ देना
वो बचपन याद आता है …….!!
आसमां को छूती पतंग
अचानक उस का कटना
दोस्तों संग उस पर टूटना
पाने की जद्दोजहद में
आपस में लड़ना-झगड़ना,
एक एक टुकड़ा हाथ में लिए
सबका एक साथ हँसना
वो बचपन याद आता है …….!!
वानर टोली बनाकर खेलना
रेल के डिब्बे जोड़कर चलना
दबे पैर घर से निकलकर
दुपहरी में क्रिकेट खेलना
शाम को घर-आँगन में घूमना
फागुन की चांदनी रात में
जुगनुओं का पीछा करना
वो बचपन याद आता है …….!!
वो बारिश में नहाते ओले चुनना
कागज की कश्ती पानी में ठेलना
दोस्तों संग गुल्ली डंडे का खेल
फिर बागो से कच्चे आम तोडना
माली का डंडा लेकर पीछा करना
हाथ न आकर उसको चिढ़ाना
वो बचपन याद आता है …….!!
खुले आसमान में सुबह की सैर
जुते खेतो में कब्बड्डी खेलना
ज्येष्ठ की तपती गर्मी में
नदी में ऊंचाई से कूदना
उलटे पैरो से उसमे तैरना
वो बचपन याद आता है …….!!
बिना किसी कारण के रूठना
आंसुओं से रोने का नाटक
भैया की फटकार का डर
दीदी का प्यार से सहलाना
झट से खिलखिलाकर हसना
वो बचपन याद आता है …….!!
आसमां को छूने की ताकत
हवा से तेज़ रफ़्तार
तूफानों से टकराने की इच्छा
वक़्त से आगे दौड़ने की तमन्ना
वो लहरो पे चलने के सपने
पंछियों संग उड़ने के अरमान
वो बचपन याद आता है …….!!
किताबो से ठसाठस भर बस्ता
पीठ पे लादे पैदल स्कूल जाना
गर्मी में पसीने में नहाया बदन
फिर भी मस्ती में हसते-२ आना
बेख़ौफ़ जीने की आजादी
वो बचपन याद आता है …….!!
दिन भर की उछल कूद
रात में थक कर सोना
माँ का गुस्से से बिगड़ना
पापा की डांट से डरना
माँ का आँचल में छुपाना
वो बचपन याद आता है…….!!
दादा जी का मेला दिखाना
दादी जी की गोद में लोरी सुनना
नाना जी का मिठाई दिलाना
नानी जी का कहानी सुनना
वो बचपन याद आता है…….!!
वो बचपन याद आता है…….!!