” फेसबुक अकाउंट “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
=============
सोशल मीडिया
के युग में
मैंने भी
अपना अकाउंट खोला
देखने लगा
लोगों ने लाखों दोस्त
बना रखें हैं
फ्रेंडशिप की एक होड़ सी लगी हुई है
पर अपने पड़ोसियों से ठनी पड़ी हुई है
अकाउंट खोल के
हमने भी विजय का पताका
फहरा दिया
दोस्तों की लम्बी लिस्ट
हमने भी ज़माने को
दिखा दिया
हाथी के दाँत दिखाने के दो
होते हैं
और खाने के दो होते हैं !
यदाकदा वर्षों बाद
कभी फेसबुक खोल लेंगे
लाइक तो मुझे करना
आता है
मन चाहा तो चुन चुन कर
क्लीक कर देंगे
विचारों का आदान-प्रदान
कुछ लिखना पढ़ना
और सीखना
मेरे बस की बात नहीं
मिथ्या भंवर के
जाल में मुझे फँसना नहीं
अगर कोई कुछ
पूछता हो-
“आज कल दिखते नहीं हो ?”
झटसे उनको हम कहेंगे-
“तुमभी तो दिखते नहीं हो !”
यन्त्र यह अनमोल है
ज्ञान का भंडार है,
सीख लो इसको ह्रदय से
इसमें ही संसार है !!
=============
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका