फूल
दामन में काँटे लिए
खिलते और मुस्कुराते,
सबक जिंदगी का
हमें सिखलाते,
न कोई वह साधु-महात्मा
न कोई राजा कहलाते,
दुनिया में खुशबु बिखेरती
वह तो फूल कहलाते ।
पलभर की जिंदगी है फिर भी
हरदम नाचते गाते,
उसे लहलहाते देख सभी की
तबीयत मचल जाते,
बहार खिलाते है उसे और
पतझड़ कुम्हला देते,
शिकवा न करते कभी किसी से
हर गम छुपा लेते,
दुनिया में खुशबु बिखेरती
वह तो फूल कहलाते ।
पत्थर में भी खिलता वह
कीचड़ में भी पलते,
वीरान जिंदगी को भी वह
खुशियों से भर देते,
पापी हो या संत हो
सबको एक जैसा प्यार बाँटते,
मरघट हो या बगीचा
हर जगह हरदम खिलते,
दुनिया में खुशबु बिखेरती
वह तो फूल कहलाते ।