फूल अरबी आयतों जैसे खिले
रात पूनम की बड़ी अच्छी लगे
फूल अरबी आयतों जैसे खिले
नक़्श दिल पे हो रही है शा’इरी
रोज़ मौसम इक ग़ज़ल मुझसे कहे
आपकी दरिया दिली बढ़ने लगी
आप मुझपे मेहरबाँ होने लगे
तितलियों ने देर तक हैराँ किया
आपको देखा नहीं उड़ते हुए
हुस्न की महफ़िल सजी थी दरमियाँ
देर तक हम आपको सजदा किये