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18 Aug 2022 · 1 min read

*फिर बंसी बजाओ रे (भक्ति गीतिका )*

फिर बंसी बजाओ रे (भक्ति गीतिका )
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘””
(1)
चले आओ मेरे घनश्याम फिर बंसी बजाओ रे
दही-माखन की मटकी फोड़ फिर माखन चुराओ रे
(2)
तुम्हें ऊखल से फिर बाँधे यशोदा माई कस- कसकर
जो खोलो मुँह तो फिर ब्रह्मांड को पूरा दिखाओ रे
(3)
रचाओ रास प्रभु यमुना के तट पर चॉंदनी फैली
हृदय में प्रेम की थिरकन के मधु फिर गीत गाओ रे
(4)
करो फिर नृत्य कालिय नाग के फन पर भरा मस्ती
विषैली हो चुकी यमुना के विष से फिर बचाओ रे
(5)
तुम्हें फिर से बुलाती हैं तुम्हारी प्राण से प्यारी
कहाँ गोपाल हो गायों को फिर आकर चराओ रे
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 545 1

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