*फाइल भारी (गीतिका)*
फाइल भारी (गीतिका)
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काम हुआ कम, फाइल भारी
रंग-ढंग हैं, यह सरकारी
दफ्तर में तारीख लगी है
रोज सिलसिला, यह ही जारी
अग्रसारित संस्तुति अनुमोदन
बोल रहा बाबू-अधिकारी
पता नहीं कब राहत पाऍं
सोच रही जनता बेचारी
साहब तो फिर भी अच्छे हैं
बाबू लेकिन स्वेच्छाचारी
कुछ दलाल हैं हर दफ्तर में
रहती उनकी सबसे यारी
किसने रिश्वत किससे खाई
नित्य इसी पर मारामारी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451