Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2022 · 3 min read

फरियादी (छोटी कहानी)

फरियादी (छोटी कहानी)
••••••••••••••••••••••••
मंत्री जी अपने कार्यालय में बैठे हैं। सचिव आकर एक पत्र सामने रख देता है। मंत्री जी पढ़ते हैं । किसी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक का पत्र है। लिखा था ,” हमारे विद्यालय में अनेक वर्षों से आयोग द्वारा अध्यापक नहीं भेजे जा रहे हैं। अगर आप नहीं भेज सकते ,तो हमें ही अध्यापकों की नियुक्ति का अधिकार दे दीजिए ! ”
पढ़कर मंत्री जी ने मुँह बिचकाया और सचिव से कहा “इन्हें अधिकार देकर क्या हम निजीकरण फिर से कर दें ? शोषण उत्पीड़न की व्यवस्था पुनः लागू कर दें ?”
सचिव ने सिर नकारात्मक मुद्रा में हिलाया, जिसका तात्पर्य यह था कि नहीं साहब ! ऐसा हम हरगिज़ नहीं कर सकते ।
मंत्री जी ने पत्र एक तरफ रख दिया और कहा “जो लोग शिकायत लेकर आए हैं कम से कम उन फरियादियों की फरियाद तो सुनी जाए । बाहर जाकर एक – एक करके फरियादियों को भेजना । ”
सर्वप्रथम एक वृद्ध महानुभाव आकर मंत्री जी से कहने लगे “हजूर ! मेरी उम्र 68 साल हो गई है । मैं पेंशन लेता था और आराम से रहता था । लेकिन अब मेरे घर पर यह जोर पड़ रहा है कि मैं फिर से उसी विद्यालय में पढ़ाने के लिए चला जाऊँ, जहां से मैं 8 साल पहले रिटायर हुआ था । अब न मैं आराम से जी सकता हूँ, न चैन से मर सकता हूँ । यह आपने मुझे किस मुसीबत में डाल दिया ? यह उम्र हमारी संविदा पर अध्यापन की थोड़े ही है।”
मंत्री जी ने कहा “हमने प्रबंधकों के शोषण से आपको बचा लिया है । बस हमें इतना ही करना चाहिए था और वह पर्याप्त है । अब आप कोई शिकायत हमसे मत करिए ।”
दो टूक जवाब सुनकर अवकाश प्राप्त शिक्षक चले गए । अगले फरियादी के रूप में तीन-चार नवयुवक मंत्री जी के सामने खड़े थे । उनमें से एक ने कहा “आपने अध्यापक अभिभावक संघ का गठन करके उस के माध्यम से हमें औने-पौने भाव पर अध्यापक नियुक्त कर रखा है। विद्यालय में हमारा सम्मान एक चपरासी से भी कम है क्योंकि हमें वेतन एक चपरासी से भी बहुत कम मिलता है ।अर्थ -प्रधान युग में वेतन ही तो सब कुछ होता है। एक तरफ आप शिक्षक के सम्मान के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं , दूसरी तरफ हम मामूली वेतन पर उसी विद्यालय में काम कर रहे हैं ,जहाँ चपरासी को हम से कई गुना ज्यादा वेतन मिल रहा है।”
मंत्री जी ने सिर झुकाकर सारी बातें सुनीं ,उसके बाद सिर उठाया और पूछा “आपका शोषण प्रबंध- तंत्र द्वारा तो नहीं किया जा रहा है ?”
आगंतुक नवयुवकों ने कहा “यह तो आप भी जानते हैं कि हमारा शोषण प्रबंधक नहीं बल्कि कौन कर रहे हैं ? सब आपका ही किया – धरा है ! ”
मंत्री जी गुस्सा हो गए ,बोले “बेकार की बातें नहीं करते । आप जाइए यहाँ से ।”
इसके बाद कुछ लोग मंत्री जी से मिलने आए और उनसे बड़ी प्रेम पूर्वक मंत्री जी की बातें हुईं, चाय – नाश्ता मँगवाया गया। इसी बीच मंत्री जी ने बातों – बातों में कहा “अब तो मैनेजमेंट के शोषण से सबको छुटकारा मिल ही गया है।” वातावरण में यह शब्द रहस्यपूर्ण हँसी के बीच विलीन हो गए।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
151 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...