फरमान
फरमान
शीतकाल में
धूप है
कुदरत की
अनमोल नियामत
हर व्यक्ति
अपना कार्य
चाहता है निपटाना
धूप में
लेकिन मैं हूँ बाध्य
कक्षाकक्ष में ही
अध्यापन करने को
फरमान है शिक्षा विभाग का
नहीं करना अध्यापन
खुले में
यह फरमान
अव्यवहारिक-सा
हुआ प्रतीत
जब ठिठुरने लगे
कक्षाकक्ष में
अभावग्रस्त बच्चे
कौन बताए
फरमान जारी
करने वालों को
समाज की
वस्तु-स्थिति
-विनोद सिल्ला©