फ़तह
दिन-दिन भर रोया करते जो,
मौका उनको भी मिलता है ,
रूखे से बेजान चेहरे पर ,
मुस्कान उनको भी मिलती है ,
डटे रहे जो अपने कर्म पर ,
मंजिल उनको भी मिलती है ,
पूरा होता सपना एक दिन ,
विश्वास खुद पर जो करते हैं ,
एक-एक पग रख-रख कर,
आहिस्ता आहिस्ता बढ़ते हैं ,
बार-बार के संघर्षो से,
शिखर फ़तह करते हैं ।