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4 Jun 2024 · 1 min read

प्रेम

प्रेम (पिरामिड)

जो
उठ
बढ़ता
करता है
अभिवादन
निश्चित समझो
वंदनीय होता है
सब के दिल में
प्रेमामृत का
बरसाता
रहता
मधु
को।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 34 Views

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