प्रेम..
प्रेम
अनन्त अविरल,
अनवरत
प्रवाह है भावों का
अनुभूति है,
चरम है खुशी और दर्द का
मिल जाए तो सुकून रूह का
न मिले तो दर्द बेपनाह है
हिमांशु Kulshreshtha
प्रेम
अनन्त अविरल,
अनवरत
प्रवाह है भावों का
अनुभूति है,
चरम है खुशी और दर्द का
मिल जाए तो सुकून रूह का
न मिले तो दर्द बेपनाह है
हिमांशु Kulshreshtha