प्रेम से प्यारा नजारा नहीं
प्रेम से प्यारा नजारा नहीं
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प्रेम से प्यारा नजारा नहीं,
प्यार बिन कोई गुजारा नहीं।
देख ली दुनिया नहीं आसरा,
आप सा कोई हमारा नहीं।
जी न पाएंगे बिना साथ के,
पास साया गर तुम्हारा नहीं।
रात दिन जी ना सकेगें यहां,
याद से बढ़ कर सहारा नहीं।
देख लो जी भर सितारें यहां,
ख्वाब का कोई किनारा नहीं।
मौज कर लो जो जहां में मिले,
ज़िंदगी मिलती दुबारा नहीं।
साथ मनसीरत बुरा ही सभी,
यार मरना अब कुंवारा नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)