प्रेम शाश्वत है
अपनों के साथ जो अपना बन के रहता
खुशी और ग़म का जो बोझ सहता
वही जिंदगी को सलीके से समझता ।
यही प्यार का तरीका है
यही प्रेम है यही शाश्वत है।
माँ से बिछड़ कर भी जो ना बिछड़े
पिता की धड़कनों को
अनसुना कर जो ना जी सके
जिंदगी की सरगम को जो
अनुभवो से ना तोले
वही प्रेम है वही शाश्वत है।
चिड़ियों के चहकने से होती सुबह है
फूलों के खिलने से महकती बगिया है
सूरज के निकलने से दूर होता अंधेरा है
जैसे राधा और कृष्ण का प्रेम शाश्वत है।
तेरा हँसना मुस्कुराना
ग़मों का आना फिर चले जाना
तेरा मिलकर बिछड़ जाना
हसीन लम्हों का फिर से सजाना
यही प्रेम है यही शाश्वत है।
हरमिंदर कौर अमरोहा(उत्तर प्रदेश)