**** प्रेम -मंदिर ****
लोग कहते हैं रिश्ते रूहानी होने चाहिए
प्यार सिर्फ जिस्मानी नही होना चाहिए
नज़र और नज़रिया अपना बदल देखें
प्यार रोशन-जिस्म बिना हुआ चाहिए
दुआ कीजिए जिस्म मन्दिर है प्यार का
प्यार का देवता बूत की देख सुंदरता
दर प्यार के आएगा मन मन्दिर में वरना
देख विद्रूपता लौट दर से फिर जायेगा
कौन दूजा फिर उस दर ठहर पायेगा
नज़र बदली है ना बदलेगा नजरिया
मुहब्बत आधार बूत -बुतखाने का है
जिस्म है वह पवित्र मन्दिर यारों जिसमे
देख सुंदरता प्रेम -देवता प्रवेश करता है
फिर क्यों भूलते हो आज की मित्रता
फेस देख की जाती है फेसबुक मित्रता
फिर प्यार का देवता क्या है भावशून्य
क्या उसको नहीं भाता प्यारा चन्द्रमुख
जिस्म तो है प्यार का प्यारा सा मन्दिर
जिसमे रख कदम भूले नादिरशाही
प्रेम का आधार जिस्म ही है प्रेम-मन्दिर ।।
. ? मधुप बैरागी