Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2022 · 1 min read

✍️प्रेम खेळ नाही बाहुल्यांचा✍️

✍️प्रेम खेळ नाही बाहुल्यांचा✍️
————————————————//
नभं पांघरून आभास होवु दे गर्द सावल्यांचा…
तप्त उन्हात उगाच भास तुझ्या चोरपावलांचा…

मिठित हरपली रात्र तुझ्या मखमली स्वप्नाची
हा अलगुज वारा साद घाली तुझ्या चाहुलाची
नकळत मोहरून आला बहर तुझ्या प्रीतिचा
स्वप्न तुझेच फुलारते नयनी तू श्वास चैतन्याचा
नभं पांघरून आभास होवु दे गर्द सावल्यांचा…

गरजुन आले मेघ एकाकी वर्षाव मंद तुषारांचा
बरसल्या सरी कातरवेळी तुझ्या आठवणींच्या
का व्याकुळ हृदयाला आभास तुझ्या स्पंदनाचा
नाचतो मनात मोर फुलवुन पिसारा आनंदाचा
नभं पांघरून आभास होवु दे गर्द सावल्यांचा…

रात चांदण्याची कुस बदलत कोरडीच पहाटली
हुर हुर ह्या जिवाला तुझीच कशी रे घोर दाटली
हा रेशिम धागा तुझ्या प्रेमविश्वात गुंफतो का असा
उमजले रे मला खरे प्रेम नाही खेळ बाहुल्यांचा
नभं पांघरून आभास होवु दे गर्द सावल्यांचा…
————————————————————-//
✍️”अशांत”शेखर✍️
09/05/2022

Language: Marathi
Tag: Song
546 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
शिव प्रताप लोधी
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
Nitesh Kumar Srivastava
💐प्रेम कौतुक-348💐
💐प्रेम कौतुक-348💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
* चाहतों में *
* चाहतों में *
surenderpal vaidya
25 , *दशहरा*
25 , *दशहरा*
Dr Shweta sood
मौत की आड़ में
मौत की आड़ में
Dr fauzia Naseem shad
कविता तुम क्या हो?
कविता तुम क्या हो?
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
■ मुक्तक...
■ मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
Ajad Mandori
घबराना हिम्मत को दबाना है।
घबराना हिम्मत को दबाना है।
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
Paras Nath Jha
आओ कृष्णा !
आओ कृष्णा !
Om Prakash Nautiyal
आईना
आईना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
23/132.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/132.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कौन नहीं है...?
कौन नहीं है...?
Srishty Bansal
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
बेचारे हाथी दादा (बाल कविता)
बेचारे हाथी दादा (बाल कविता)
Ravi Prakash
भाव - श्रृँखला
भाव - श्रृँखला
Shyam Sundar Subramanian
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
Dr Manju Saini
पत्नी की प्रतिक्रिया
पत्नी की प्रतिक्रिया
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
(15)
(15) " वित्तं शरणं " भज ले भैया !
Kishore Nigam
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
Sanjay ' शून्य'
कहानी इश्क़ की
कहानी इश्क़ की
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे
Ram Krishan Rastogi
मातृ दिवस
मातृ दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रामराज्य
रामराज्य
Suraj Mehra
विपक्ष से सवाल
विपक्ष से सवाल
Shekhar Chandra Mitra
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...