प्रेम की पराकाष्ठा
तुम्हारे जाने के बाद
साठ वर्ष बीते हैं अभी
इन दिनों तुम्हें
भुला नहीं पाया कभी ।
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारी वही मुस्कराहट
मेरी मांं के मुखपर दिखी ।
तुम्हारे जाने के बाद
पाणिग्रहण संस्कारों में
सभी जगह तुम मुस्कराती दिखीं ।
मेरे अपने विवाह के बाद
वैसी ही तुम्हारी मुस्कराहट मुझे
पत्नी के मुख पर दिखी ।
और तो और
मेरी बेटी जब जब हंसती है
तुम्हारी याद आ बसती है ।